The 7 Habits of Highly Effective People Book Summary in Hindi.

दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए  The 7 Habits of Highly Effective People Book Summary in Hindi लेकर आये है.  Stephen R Covey की किताब The 7 Habits of Highly Effective People सबसे पहले 1989 में ही प्रकाशित हुई थी और आज तीन दशक बीत जाने के बाद भी ये किताब दुनियां की best Self Help Books में सर्वोच्च स्थान पर आती है। The 7 Habits of Highly Effective People किताब में जो सात आदतें बताई गई है वो बहुत ही इफेक्टिव है और इनको अपनाकर कोई भी व्यक्ति एक प्रभावशाली और सफल बन सकता है।

इस आर्टिकल में हमलोग The 7 Habits of Highly Effective People के सभी सात आदतों के बारे में अच्छे से जानेंगे , साथ ही यह भी जानेंगे की कैसे इन सातों आदतों को अपने जीवन में हम अपना सकते है। 

Part One: Paradigms And Principles

Inside – Out : अंदर से बाहर

बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने कार्य क्षेत्र में तो बहुत सफल है परंतु अपने पारिवारिक जीवन में बेहद ही असफल । ऐसे लोग अपने कार्य क्षेत्र में किसी पर भरोसा नहीं करते और इसलिए वह कभी भी अपने काम से छुट्टी नहीं लेते हैं । इसका नतीजा होता है कि वह अपने परिवार और बच्चों के लिए समय नहीं निकाल पाते जिससे उनका पारिवारिक जीवन बेहद ही खराब चलता है । 

बाहर से ऐसे लोग तो बहुत सफल दिखते हैं परंतु अंदर से टूटने की कगार पर होते हैं । उनका वैवाहिक जीवन बिखर रहा होता है, उनके बच्चे उनसे बात नहीं करते , ऐसे लोगों का कोई दोस्त भी नहीं होता है और अंत में उनका पूरा जीवन बिखर जाता है ।

ऐसी समस्याएं बहुत गहरी और कष्टकारी है और उनका कोई क्विक फिक्स हल नहीं निकाला जा सकता है । ऐसी परिस्थितियों को बदलने के लिए हमें अपने आप को और अपने परसेप्शन को बदलना होता है ।

1920 से पहले चरित्र आधारित एथिक्स को सफलता का आधार माना जाता था । इसके अंतर्गत विनम्रता , साहस , सत्य निष्ठा आदि गुण आते हैं ।

परंतु प्रथम विश्व युद्ध के बाद सफलता का आधार व्यक्तित्व आधारित एथिक्स हो गया । इसके अंतर्गत हमारा नजरिया , हमारा व्यवहार , लोगों के साथ हमारी बातचीत और कौशल ज्यादा प्रमुखता से आने लगा ।

हमें 7 Habits of  Highly  Effective People समझने से पहले पैराडाइम और पैराडाइम में बदलाव को समझना होगा , क्योंकि चरित्र आधारित एथिक्स और व्यक्तित्व आधारित एथिक्स दोनों सामाजिक पैराडाइम का ही उदाहरण है । 

हमारा पैराडाइम दुनिया को देखने और समझने का तरीका होता है। किसी चीज को देखकर हम क्या समझते हैं यह हमारे पैराडाइम पर ही निर्भर करता है। अंधेरे में रस्सी को देखकर कोई रस्सी तो कोई सांप समझता है यह लोगों के पैराडाइम पर ही निर्भर करता है। 

हमारा पैराडाइम ही यह तय करता है की हम लोगो से कैसे बिहेव करते है, चीजों पर कैसे रिएक्ट करते हैं और किसी भी तरह के बदलाव के लिए पैराडाइम में बदलाव जरूरी है और यही चीज हमे यह किताब 7 Habits of Highly Effective People बताती है।

इसमें सफलता के लिए अंदर से बाहर का अप्रोच अपनाने की बात बताई गई है।

इस किताब 7 Habits of Highly Effective People में जो 7 आदतें बताई गई है उसको तीन वर्गों में बांटा गया है

  1. Private Victory ( Habits 1 to 3 )
  2. Public Victory ( Habits 4 to 6 )
  3. Renewal ( Habit 7 )

Part 2 : Private Victory

इसके अंतर्गत 3 आदतें आती है जो निजी प्रभावकारिता पर फोकस करती है। इन आदतों को अपनाकर आप अपने माइंडसेट, जिम्मेदारी , निर्णय लेने की क्षमता में सुधार कर सकते और स्वतंत्रता की ओर  बढ़ सकते हो।

First Habit : Be Proactive

प्रोएक्टिव बनिए 

Highly Effective People की जो सबसे पहली आदत है वो है प्रोएक्टिविटी की आदत। प्रोएक्टिविटी का मतलब सिर्फ इनिशिएटिव लेना समझ जाता है परंतु प्रोएक्टिविटी इससे भी बढ़कर है । इसका मतलब है अपने जीवन की जिम्मेदारी लेना ।

Highly Effective People प्रो एक्टिव होते हैं । वह अपने जीवन की सारी जिम्मेदारी लेता है और वह अपने व्यवहार के लिए बाहरी फैक्टर को जैसे परिस्थितियों को जिम्मेदार नहीं मानते बल्कि उनका व्यवहार उनके वैल्यू पर आधारित होता है , जिसे वह अपनी मर्जी से चुनते हैं ।

मनुष्य को हमेशा ही चुनने की आजादी होती है। किसी भी घटना पर क्या प्रतिक्रिया देना है यह चुनने की आजादी हमेशा हमारे पास होती है।  हमारा व्यवहार हमारे चेतन चुनाव पर निर्भर करता है ना की हमारी परिस्थितियों पर। हम अपनी भावनाओं और अनुभवों को अपने मूल्यों का गुलाम बना सकते हैं। 

हम किसी भी समय जिम्मेदारी लेकर और इनिशिएटिव लेकर कोई भी चीज कर सकते हैं। इसके विपरित रिएक्टिव लोग अपने सामाजिक वातावरण और परिस्थितियों से प्रभावित होते रहते हैं।

जबतक कोई व्यक्ति ये नही समझ जाता की आज वो जो कुछ भी है वह कल उसके द्वारा लिए गए चुनावों की वजह से ही है, तबताक वह व्यक्ति आज के दिन में अलग चुनाव करके अपना जीवन नही बदल सकता। भूतकाल के अपने चुनाव को समझो, वर्तमान में अलग चुनाव करो और मनचाहा भविष्य बना लो।

जो घटना हमारे साथ घटती है वह हमे उतना दुखी नहीं करता है बल्कि उस घटना के प्रति जो प्रतिक्रिया हम व्यक्त करने का चुनाव करते हैं वही हमें दुखी करता है।  चीजे हमे शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से कष्ट दे सकती है परंतु वो हमारे चरित्र और सत्यनिष्ठा को नहीं हिला सकती है।

पहल करना

पहल करने का अर्थ है चीजों को करने की पूरी जिम्मेदारी लेना और कर के दिखाना, शुरू करना , जुट जाना। जो लोग किसी चीज को करने का पहल करते है और जो लोग पहल नहीं करते हैं उन दोनो के प्रभावशालिता में दिन और रात के समान अंतर होता है।

या तो आप खुद से पहल करें, काम शुरू करें या फिर कोई और आपसे काम करवाएगा। चुनाव आपके हाथ में है। 

अपने सृजनशीलता और संसाधनों का प्रयोग करके प्रोएक्टिव बनिए।

अपने भाषा को सुनना

हम जो भाषा बोलते हैं उसी से पता चल जाता है कि हम प्रोएक्टिव लोग हैं या रिएक्टिव । रिएक्टिव लोग ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जिससे उन्हें किसी चीज की जिम्मेदारी न लेनी पड़े ।

उदाहरण के लिए

रिएक्टिव भाषाप्रोएक्टिव भाषा
मैं कुछ नहीं कर सकतादेखते हैं, कोई न कोई उपाय जरूर होगा
वह मुझे पागल कर देता हैमैं अपनी भावनाएं खुद चुनता हूं 
मुझे वह करना ही हैमैं करने या ना करने का चुनाव करूंगा 
मैं नहीं कर सकता मैं चुनाव करता हूं 

अगर आप Highly Effective बनना चाहते है तो हमेशा प्रोएक्टिव भाषा का ही प्रयोग करें ।

सर्किल ऑफ कंसर्न / सर्किल ऑफ इनफ्लुएंस

हमारी प्रोएक्टिविटी की माप इस बात से होती है कि हम अपना समय और ऊर्जा कहां केंद्रित करते हैं । 

हमारे सर्कल ऑफ कंसर्न में वह सारी बातें आ जाती है जिसकी हम परवाह करते हैं या चिंता करते हैं । हमारे सर्कल ऑफ कंसर्न में बहुत सारी ऐसी चीज हैं जिनको हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं । 

जिन चीजों को हम नियंत्रित कर सकते हैं या जिनके बारे में हम कोई एक्शन ले सकते हैं वह चीज हमारे सर्कल ऑफ इन्फ्लुएंस में आती है । 

प्रोएक्टिव लोग अपना समय और ऊर्जा अपने सर्किल आफ इनफ्लुएंस पर केंद्रित करते हैं । आप उन चीजों पर अपना ध्यान केंद्रित करिए जिनके बारे में आप कुछ कर सकते हैं । ऐसा करने से आपका सर्कल ऑफ इन्फ्लुएंस बड़ा होता जाता है । 

रिएक्टिव लोग अपने सर्कल ऑफ कंसर्न पर ध्यान केंद्रित रखते हैं । वे लोग दूसरों की कमजोरी को देखते हैं । समस्याओं और वातावरण पर ध्यान रखते हैं । वह ऐसी चीजों पर ध्यान रखते हैं जिन्हें वह नियंत्रित नहीं कर सकते हैं ।

इसलिए Highly Effective People बनने के लिए आप अपना ध्यान और ऊर्जा उन चीजों पर लगाएं जिनके बारे में आप कुछ कर सकते हैं ना कि उन चीजों के बारे में जो आपके नियंत्रण में नहीं है ।

Second Habit : Begin With the End in Mind

अंत को ध्यान में रखकर शुरुआत करें

Highly Effective People बनने के इस हैबिट को समझने के लिए लेखक हमे अपने मृत्यु के बाद की अंतिम यात्रा की कल्पना करने को कहते हैं। आप मरने के बाद किस रूप में अपने प्रिय जनों के द्वारा याद किया जाना चाहते हैं, आप अपने जीवन की किस उपलब्धियो के लिए याद किया जाना चाहते हैं, आप अपने जीवन से लोगों के जीवन में क्या बदलाव लाना चाहते हैं ।

अपने मृत्यु की इस अंतिम यात्रा की कल्पना से आपको अपने जीवन की वो मुख्य वैल्यू या सिद्धांत मिल जायेंगे जिसके आधार पर आप अपना जीवन गुजारना चाहते हो।

अंत को ध्यान में रखकर शुरू करने का अर्थ है की अपने मंजिल को सही सही जान कर की आप को कहां पहुंचना है और फिर तब शुरुआत करना। हम बहुत व्यस्त हो सकते हैं, बहुत बहुत उत्पादक भी हो सकते हैं पर हम सही मायनों में इफेक्टिव तभी हो सकते हैं जब हम अपने अंत को ध्यान में रखकर कोई भी काम शुरू करें।

इस दुनिया की हर चीज दो बार बनती है, एक बार मन में और एक बार हकीकत में। 

Highly Effective People बनने के लिए हमें मैनेजमेंट और लीडरशिप को भी जानना होगा। मैनेजमेंट का अर्थ होता है की किसी चीज को अच्छे से कैसे पूरा करें जबकि लीडरशिप का अर्थ है कौन सी चीज करें। Highly Effective बनने के लिए लीडरशिप को पहले आना चाहिए और फिर बाद में मैनेजमेंट को। 

लेखक कहते हैं कि अंत को ध्यान में रखकर शुरू करने का सबसे अच्छा तरीका है की आप अपना एक पर्सनल मिशन स्टेटमेंट बनाएं। आपका पर्सनल मिशन स्टेटमेंट तीन चीजों पर केंद्रित होना चाहिए

  1. आप कैसा बनना चाहते हैं ( चरित्र )
  2. आप क्या करना चाहते हैं ( आपकी उपलब्धियां और समाज को देन )
  3. किन मूल्यों पर ये दोनो चीजें आधारित होंगी

कुछ ही समय में आपका मिशन स्टेटमेंट आपका संविधान बन जायेगा। यह आपके जीवन में हर निर्णय को लेने का आधार बन जायेगा। जब आप अपने जीवन को सिद्धांत आधारित कर लेंगे फिर आपकी हर तरफ  इन्ही सिद्धांतो से उन्नति होगी।

शाश्वत सिद्धांत कभी भी बदलते नही हैं इसलिए सिद्धांत आधारित जीवन हमें एक मजबूत आधार प्रदान करती है जो कठिन समय में भी हमें टूटने नही देती है।

Third Habit : Put First Things First

पहली चीज पहले करें 

इस चैप्टर को शुरू करने से पहले लेखक हमसे 2 प्रश्न पूछते हैं

  1. ऐसी कौन सी एक चीज आप करना शुरू कर सकते हैं जो अभी आप नहीं कर रहे हैं जिससे आपका पर्सनल लाइफ काफी बेहतर हो जाए।
  2. इसी तरह ऐसी कौन सी एक चीज आप करना शुरू कर सकते हैं जो अभी आप नहीं कर रहे हैं जिससे आपका प्रोफेशनल लाइफ बेहतर हो जाय।

पहली हैबिट आपको बताती है की आप अपने जीवन के मालिक हो, आपके जीवन की बागडोर आपके ही हाथ में है जबकि दूसरी हैबिट आपके जीवन का मूल्य ढूढने में आपको मदद करती है और तीसरी आदत इन दोनो आदतों को लागू करने का काम करती है।

यह आदत स्वतंत्र इक्षाशक्ति का प्रयोग करके अपने आप को अच्छे से अपने मूल्यों के अनुरूप कर्म करने में मदद करता है। हम इंसानों में स्वतंत्र इक्षाशक्ति होती है, इसका अर्थ है की हम लोग कोई भी निर्णय ले सकते हैं और उन निर्णयों पर एक्शन भी ले सकते हैं।

Effective बनने के लिए पहली चीज पहले करना बहुत आवश्यक है। कभी भी टाइम मैनेजमेंट समस्या नहीं होती है, समस्या है खुद को मैनेज करना। सफल लोग हमेशा उन कार्यों को करने की आदत डाल लेते हैं जिन्हे असफल लोग नही करना चाहते हैं।

हमारे सभी कार्य urgent और important मेट्रिक्स में रखे जा सकते हैं। दुर्भाग्य से हम सभी लोग सामान्य रूप से urgent काम को ही निपटाने में लगे रहते हैं और important काम पर कभी भी ध्यान नहीं देते हैं। चलिए इस मेट्रिक्स को देखते हैं:

UrgentNot Urgent
Important Quadrant 1
अति आवश्यक कामसमय सीमा पूरे हो जाने वाले कामअभी तुरंत करना आवश्यक
Quadrant 2
संबंध बनाने पर काम करनानए अवसरों को पहचाननाप्लानिंग करना 
Not Important Quadrant 3
बिना मतलब का व्यवधानफोन कॉल्सबेहिसाब मनोरंजन
Quadrant 4
बेवजह के कामों में लगे रहनाटाइम पास करनामजे लेने के फेर में रहना

Quadrant 1: इसमें वैसे काम आते हैं जो महत्वपूर्ण भी है और तुरंत करना भी आवश्यक है। हमे ये काम तो करने ही हैं। लेकिन क्वाड्रेंट 1 के कार्यों में लगे रहने से आप इफेक्टिव नही बन सकते।

Quadrant 2 : इसमें वैसे काम आते हैं जो महत्वपूर्ण तो है पर अर्जेंट नहीं है। यही काम करना आपको Highly Effective People बनाता है। सामान्य रूप से हम अर्जेंट कामों को निपटाने के चक्कर में इस क्वाड्रेंट के महत्वपूर्ण कामों पर ध्यान नहीं देते हैं। इस क्वाड्रेंट के काम को करने के लिए आपको सेल्फ डिसिप्लिन होना पड़ता है, यहीं पर आपकी प्रोएक्टिविटी काम आती है।

Quadrant 3 : इसमें वैसे काम आते हैं जो हमे अर्जेंट लगते हैं पर वो अर्जेंट होते नही हैं। ये काम दूसरो की प्राथमिकताओं पर आधारित होते हैं, आपके लिए तो बिलकुल भी महत्वपूर्ण नही होते। 

Quadrant 4 : इस क्वाड्रेंट के काम न तो महत्वपूर्ण होते हैं ना ही अर्जेंट। ऐसे कामों में जुटे रहना आपके जीवन को बर्बाद कर देता है। आराम और मनोरंजन आवश्यक है, परंतु इससे पहले हमें अपने कार्यों को अपने मूल्यों के अनुरूप सामंजस्य बैठा लेना चाहिए।

आपको Highly Effective People बनने के लिए क्वाड्रांट 2 के कामों में अपना समय और ऊर्जा लगाना चाहिए।  आपको क्वाड्रेंट 3 और 4 के कार्यों को करने से बचना चाहिए, साथ ही क्वाड्रेंट 1 के कार्यों को कम से कम करने पर फोकस करना चाहिए।

Quadrant 2 के कार्यों पर अपना ध्यान लगाने के लिए हमें ना कहने की आदत डालनी होगी। उन कामों को ना कहना सीखिए जो महत्वपूर्ण नही है और आपके मूल्यों के अनुरूप नहीं है। 

ना कहने की आदत डालने के साथ साथ हमें कामों को डेलीगेट करना भी सीखना होगा। जब आप कम महत्वपूर्ण कामों को डेलीगेट करना शुरू करते हो तभी आप अपना कीमती समय महत्वपूर्ण कार्यों के लिए बचा पाते हो। 

जबतक आपका जीवन मूल्यों पर आधारित नहीं होगा और आप अपने पर्सनल मिशन स्टेटमेंट के आधार पर नहीं जिएंगे तबतक आप क्वाड्रेंट 2 के कार्यों के लिए अपने आप को अनुशासित नहीं कर पाएंगे। 

मूल्यों पर आधारित जीवन और क्वाड्रेंट 2 में अपना समय अच्छे से बिताने के लिए आपको वीकली basis पर अपना शेड्यूल बनाना चाहिए। डेली शेड्यूल से काम नहीं चलेगा। 

वीकली शेड्यूल बनाने के लिए आपको चार बातों पर ध्यान रखना चाहिए:

  1. Identify Roles : आप पूरे सप्ताह किन क्षेत्रों पर अपना समय बिताना चाहते हैं उसे लिख लें
  2. Select Goals : हर क्षेत्र में पूरे सप्ताह के दौरान जो परिणाम आप हासिल करना चाहते हैं ऐसे 1 या 2 महत्वपूर्ण चीजें लिख लें।
  3. Schedule : अब अपने हरेक लक्ष्य को सप्ताह के किसी खास दिन करने के लिए समय निर्धारित कर लें। 
  4. Adapt Daily : अचानक से आने वाले चीजों, घटनाओं आदि को अच्छे से सुलझाने और सामंजस्य बैठाने के लिए तैयार रहें।

Highly Effective People बनने के लिए अपने शेड्यूल की प्राथमिकता तय नहीं करनी है बल्कि अपनी प्राथमिकताओं को शेड्यूल करना है।

Part 3 : Public Victory , The 7 Habits of Highly Effective People

आगे के 3 हैबिट्स बाहरी दुनिया पर विजय प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। इससे पहले हमने जो 3 हैबिट्स देखे हैं वो हमारे अंदर की दुनिया पर विजय प्राप्त करने से संबंधित है। आप बाहरी दुनिया पर तभी विजय प्राप्त कर सकते हो जब आपने अपने भीतर की दुनिया को जीत लिया हो।

Fourth Habit : Think Win Win

हमेशा अपने और दूसरों दोनो की जीत के बारे में सोचें

हमे हमेशा ऐसा काम करना चाहिए जिससे की दोनो ही पार्टी को आपस में फायदा हो, किसी को कोई नुकसान ना हो। इसे ही win win माइंडसेट कहते हैं। 

लेखक कहते हैं की Human interaction के 6 प्रकार होते है:

  1. Win – Win 
  2. Win – Lose
  3. Lose – Win
  4. Lose – Lose
  5. Win
  6. Win – Win or No Deal

जीत जीत की स्थिति पैदा करने के लिए प्रचुरता की मानसिकता का होना बहुत आवश्यक है । प्रचुरता की मानसिकता इस विश्वास पर आधारित होती है कि इस दुनिया में चारों तरफ हर चीज पर्याप्त मात्रा में है चाहे वह कोई रिसोर्स हो अवसर हो या सफलता । 

प्रचुरता की मानसिकता वाले लोग ज्यादा खुले दिमाग वाले लचीले और कलात्मक होते हैं । ऐसे ही लोग कोलैबोरेशन और कोऑपरेशन में सफल होते हैं और अपने साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर बड़ी सफलता हासिल करते हैं ।

इसके विपरीत अभाव की मानसिकता वाले लोगों का विश्वास होता है कि इस दुनिया में हर चीज सीमित है और कोई भी व्यक्ति अगर सफल होता है तो इसके लिए किसी दूसरे व्यक्ति को  असफल होना पड़ेगा । अधिकांश लोग इसी मानसिकता में जीते हैं और एक दूसरे से ईर्ष्या करते हैं और इसी के कारण वह दुखी रहते हैं और लाचार बने रहते हैं ।

अभाव की मानसिकता वाले लोग अवसरों को ठीक से समझ नहीं पाते और जीत जीत की संभावना तो उनके लिए लगभग असंभव ही है । 

Fifth Habit : Seek First to Understand, then to be Understood

पहले दूसरों को समझिए फिर अपनी बात समझाइए

हाईली इफेक्टिव लोगों की पांचवी आदत कहती है कि पहले आपको दूसरों की बातों को तत्पर होकर और सहानुभूति पूर्वक सुनना चाहिए उसके बाद अपनी बात रखनी चाहिए । हमेशा बातों को समझने के लिए तत्परता से सुनिए ना की बातों का जवाब देने के लिए । ऐसा करके आप लोगों का विश्वास और सम्मान हासिल कर पाते हैं । 

दूसरों को अच्छे से सुनने और समझने के लिए आपको खुले दिमाग वाला और पूर्वाग्रह से रहित होना पड़ेगा । आपको दूसरों के बारे में किसी प्रकार की भी धारना या मन में पहले से कल्पना नहीं करनी चाहिए । ऐसा करके आप अच्छा संवाद कायम कर पाते हैं और गहरे संबंध बना पाते हैं । 

दूसरों को अच्छे से सुनने के लिए लेखक सहानुभूति पूर्ण श्रोता बनने की सलाह देते हैं । जब आप ऐसा करते हैं तब आप सामने वाले की मन: स्थिति को समझते हैं और फिर दुनिया को उसी तरह देखते और महसूस करते हैं जैसा सामने वाला बताता है । 

सहानुभूतिपूर्ण श्रोता बनने सेआप वास्तविकता की सही तस्वीर देख पाते हैं । जब आप लोगों को समझने के लिए सुनते हैं तब आपको आश्चर्य होगा की कितनी जल्दी लोग आपके सामने दिल खोलकर सब कुछ बयां कर देते हैं । 

एक बार जब आप सामने वाले की बात को अच्छी तरह समझ लेते हैं तो अगला कदम होता है अपनी बात सामने वाले के समक्ष रखना और उन्हें समझाना । ऐसा करने के लिए आप में साहस होना चाहिए । 

जब आप सहानुभूति पूर्ण तरीके से सामने वाले को सुन लेते हैं तब आप अपनी बात भी सामने वाले वक्ता के पैराडाइम के अनुसार ही रखते हैं और समझते हैं । ऐसा करने से आपके विचारों की विश्वसनीयता काफी बढ़ जाती है क्योंकि आप अपने ऑडियंस से उसी भाषा में बात करते हैं जिस भाषा को आपकी ऑडियंस समझती है । 

Sixth Habit : Synergize

सहयोग करना, तालमेल बिठाना

Synergize का मतलब होता है कि एक आदमी किसी दूसरे आदमी के साथ मिलकर काम करें और ऐसा करने से वह काम और भी ज्यादा इफेक्टिव तरीके से होता है । सिनर्जी में जब दो लोग साथ में मिलकर काम करते हैं तो उसका सम्मिलित परिणाम दोनों लोगों के एकल परिणाम के योग से भी ज्यादा होता है । यही इसकी शक्ति है । यही इसकी विशेषता है ।

सिनर्जी और कोलैबोरेशन तभी इफेक्टिव होता है जब दो लोगों की भिन्नताओं का सम्मान होता है और उनकी ताकत को एक साथ मिला दिया जाता है । ऐसा करने से बहुत बड़ा परिणाम हासिल किया जा सकता है । 

इफेक्टिव लोग सिनर्जी की ताकत को समझते हैं और हमेशा इसका इस्तेमाल करने के अवसर तलाशते रहते हैं । 

सिनर्जी को अचीव करने के लिए लेखक इस अध्याय में कई सिद्धांत बताते हैं जिनमें :

  • सामने वाले की विशेष योग्यता , अनुभव और दूर दृष्टि की पहचान करना
  • लोगों के अलग-अलग ताकत को इकट्ठा कर सफलता हासिल करना
  • दो विपरित विचारो में कॉम्प्रोमाइज की जगह कोई नई बात या हल को ढूंढना
  • ऐसे उपाय ढूंढना जिससे की दोनो पक्षों की जरूरत पूरी हो
  • सहानुभूतिपूर्ण तरीके से दूसरों के मतभेदों को सुनना और समझना
  • समझने के लिए सुनना ना के जवाब देने के लिए
  • दूसरों के फीडबैक का स्वागत करना
  • फीडबैक का प्रयोग अपने कार्यों और विचारों को बेहतर बनाने में करना

किसी भी सिनर्जी के सफल होने के लिए भरोसा और सम्मान दो आवश्यक गुण है । सिनर्जी का लाभ उठाने के लिए ऐसा वातावरण बनाना आवश्यक है जिससे कि लोग स्वतंत्र होकर अपने विचारों को शेयर करें और कोलैबोरेशन करने का माहौल तैयार हो सके ।

Seventh Habit : Sharpen the Saw

कुल्हारी की धार तेज करें

कुल्हाड़ी की धार तेज करने का अर्थ है लगातार आत्म सुधार करने के लिए सचेतन प्रयास करते रहना और अपने ऊर्जा के स्तर को बनाए रखना । ऐसा करने से ही एक खुशहाल सुखी और स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है । 

हम इंसान अपने कामकाज और जिम्मेदारियां में इतना उलझ जाते हैं कि अपने आप को ही भूल जाते हैं , खुद पर ध्यान नहीं दे पाते । लेखक कहते हैं कि इफेक्टिव बनने के लिए हमें अपने कुल्हाड़ी की धार को तेज करने का समय अवश्य निकालना चाहिए

कुल्हाड़ी की धार तेज करने का अर्थ है मानव जीवन के चारों डाइमेंशंस को लगातार नियमित रूप से निखारते रहना । इन चारों डाइमेंशन में से कोई भी एक के खराब होने पर बाकी तीन प्रभावित होते हैं । चलिए एक-एक करके इन चारों डाइमेंशन को देखते हैं ।

Physical Renewal

हमें अपने शरीर को स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर रखना है ताकि यह जीवन के चुनौतियों का अच्छे से सामना कर सके । अगर आप बीमार या कमजोर हैं तो आपका इफेक्टिव होना बहुत कठिन है । कुछ एक्टिविटीज को अपनाकर आप अपने शारीरिक ऊर्जा का नवीनीकरण कर सकते हैं :

  • व्यायाम करके
  • हेल्दी खाना खाकर
  • ढेर सारा पानी पीकर
  • प्रकृति में समय बिता कर
  • अच्छी नींद लेकर

Mental Renewal

शारीरिक स्वास्थ्य की तरह मानसिक स्वास्थ्य भी बहुत महत्वपूर्ण है । जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मन को भी स्वस्थ रखने के लिए और ऊर्जावान रखने के लिए व्यायाम के आवश्यकता होती है । नीचे दिए गए कुछ उपाय से आप अपने मानसिक शक्तियों को बढ़ा सकते हैं और तरो ताजा कर सकते हैं :

  • ध्यान का अभ्यास
  • किताबें पढ़ कर
  • नई-नई चीज सीखना , उनके लिए क्लास , वर्कशॉप , सेमिनार अटेंड करना ।
  • अपने हॉबी पर काम करना
  • किसी नए यंत्र को बजाना सीखना

Spiritual Renewal

आध्यात्मिक नवीनीकरण का अर्थ हैअपने मूल्यों और विश्वासों पर चिंतन मनन करना और उन्हें और मजबूत करना । इसके लिए आप निम्नलिखित चीजों को ट्राई कर सकते हैं:

  • ज्ञान का अभ्यास
  • प्रार्थना करना
  • श्रमदान देना
  • जर्नलिंग करना
  • आत्म विश्लेषण करना
  • कृतज्ञता प्रकट करना
  • मौन रहना

Social/ Emotional Renewal 

हम इंसान सामाजिक प्राणी होते हैं और भावनाओं से चलते हैं । इसलिए हमें अपने भावनाओं और संबंधों का भी ध्यान रखना आवश्यक है । सामाजिक और भावनात्मक नवीनीकरण के लिए इनमें से कुछ उपाय आप अपना सकते हैं :

  • अपने प्रिय जनों के साथ समय बिताना
  • अपने दोस्तों के साथ टाइम पास करना
  • किसी मेला या कंसर्ट में जाना
  • मीनिंगफुल बातचीत करना
  • लोगों के प्रति सहानुभूति रखना
  • रात्रि भोज का आयोजन करना
  • नकारात्मक लोगों से दूर रहना

इस पुस्तक में बतायें गए प्रथम 6 आदत में सफल होने के लिए अपनी कुल्हाड़ी की धार को हमेशा तेज करते रहना अत्यंत आवश्यक है । अगर हम शारीरिक , मानसिक , आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ नहीं रहेंगे तो हमारा इफेक्टिव होना बहुत कठिन है । 

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दोस्तों ये थी The 7 Habits of Highly Effective People Book Summary in Hindi.आशा है की आपको ये summary बहुत पसंद आई होगी। Summary पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद।


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