As A Man Thinketh By James Allen Book Summary In Hindi.

एज ए मैन थिंकेथ (AS A MAN THINKETH) किताब को जेम्स एलेन ने वर्ष 1903 में लिखा था ! जेम्स एलेन (JAMES ALLEN) 19वीं शताब्दी में ब्रिटेन के एक मशहूर लेखक और दार्शनिक थे ! इंसान अपने मन में जो भी सोचता है वह वैसा ही बन जाता है इस पुस्तक में इसी बात पर लेखक ने जोड़ दिया है और यह बिल्कुल सत्य भी है ! 

इस किताब को लिखे हुए 100 वर्षों से ज्यादा हो गई है लेकिन इसकी सार्थकता आज भी यथावत बनी हुई है !यह कहते हैं कि कोई व्यक्ति अपने मन में जो भी विचार लंबे समय तक रखता है और उसके बारे में सोचता है वह वैसा ही बन जाता है ! मनुष्य विचारों से ही बनता है और मनुष्य के विचार से ही उसका चरित्र बनते हैं और मनुष्य का जैसा चरित्र होता है उसी हिसाब से वह बाहरी परिस्थितियों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है ! 

AS A MAN THINKETH पुस्तक में कुल 7 अध्याय दिए गए हैं जिसमें से प्रत्येक अध्याय में लेखक ने हमारे जीवन के अलग-अलग पहलू पर हमारे विचारों का क्या प्रभाव पड़ता है उसके बारे में बताया है ! तो चलिए दोस्तों इस पुस्तक के प्रत्येक अध्याय की संक्षेप में हिंदी समरी देखते हैं !

 विचार और चरित्र

मनुष्य अपने दिमाग में जैसा भी सोचता है वह वैसा ही बन जाता है और यह बात जीवन के हर परिस्थिति में लागू होती है ! इसलिए अगर आप अपने जीवन को बदलना चाहते हैं तो आपको अपने विचारों को सबसे पहले बदलना होगा ! बिना विचारों को बदलें आपका जीवन कभी भी नहीं बदल पाएगा !

जिस प्रकार खेत में बीज बोने से पौधा उगता है उसी प्रकार विचार ही वह बीज है जिससे कर्म का पौधा उगता है ! और हमारे कर्म के अनुसार ही हमें सुख और दुख की प्राप्ति होती है ! 

हम जो कुछ भी है उसे हमारे मन के विचार ने ही बनाया है ! यदि किसी इंसान के मन में बुरे खयालात आते रहते हैं तो उसके जीवन में कष्ट खिंचा चला आता है जैसे बैल के पीछे गाड़ी खींची चली आती है ! इसी प्रकार यदि किसी इंसान के मन में पवित्र और निर्मल विचार आते हैं तो खुशी उसके पास खिंची चली आती है जिस तरह से मनुष्य की छाया या उसके साथ पीछे पीछे आती है ! 

मनुष्य अपने आपको स्वयं बनाता भी है और खुद से ही स्वयं को मिटाता भी है ! सारी शक्ति मनुष्य के अपने हाथ में ही है और उस उन सारी शक्तियों की कुंजी है मनुष्य का विचार ! विचार के कारखाने में आप अपने लिए ऐसा हथियार बना सकते हैं जिससे आपका पूरा जीवन नष्ट हो जाएगा दूसरी तरफ उन विचारों से आप ऐसे हथियार भी बना सकते हैं जो आपके जीवन को खुशी शक्ति शांति और प्रेम से भर देगा ! सही या गलत जो भी विचार चुनना है यह सब आपके ऊपर ही निर्भर करता है !

मनुष्य अपने विचार का स्वामी होता है इसलिए हर एक परिस्थिति की कुंजी उसके अपने ही हाथ में होती है ! हर मनुष्य के भीतर कायाकल्प करने की शक्ति होती है और उस शक्ति के जरिए वह जैसा चाहे वैसा बन सकता है ! 

इंसान खुद को मनचाहे सांचे में डाल सकता है और यह काम वह 1 मिनट में कर सकता है जब वह अपने विचारों को और अपनी मानसिकता को बदलने का निर्णय कर ले !

परिस्थितियों पर विचार का प्रभाव

इंसान का दिमाग एक बगीचे जैसा होता है । इसे या तो समझदारी पूर्वक तैयार किया जा सकता है या मनमाने ढंग से अपने हाल पर छोड़ा जा सकता है । चाहे हम इंसान के दिमाग रूपी बगीचे को तैयार करें या इसे अपने हाल पर छोड़ दें दोनों ही स्थितियों में हमें परिणाम जरूर मिलेंगे । अगर हम बगीचे में कोई काम का बीज नहीं डालते हैं तो उस बगीचे में खरपतवार जैसे बेकार के बीज उगने लगेंगे । और एक वक्त ऐसा आएगा जब यह खरपतवार पूरे बगीचे पर अपना कब्जा कर लेगी ।

हमारे जीवन में बुरी परिस्थितियां तो अपने आप आ जाती है लेकिन परिस्थितियों को अच्छा बनाने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होती है । अगर आप अपने जीवन की परिस्थितियों को बेहतर बनाना चाहते हैं तो इस बात को अच्छे से समझ ले कि आप अपने विचारों को बेहतर बनाए बिना अपने जीवन की परिस्थितियों को बेहतर नहीं बना सकते हैं ।

जिस तरह एक माली अपने बगीचे को साफ सुथरा रखने के लिए योजना बनाता है और उसे खरपतवार से मुक्त रखता है । उसी तरह मनुष्य को भी अपने दिमाग रूपी बगीचे की निरंतर देखभाल और जांच परख करनी चाहिए । हमें चाहिए कि सभी गलत ,बेकार और खराब विचारों को खरपतवार की तरह अपने दिमाग से बाहर फेंक दें , और उसकी जगह सही उपयोगी और पवित्र विचारों के फल फूलों को अपने दिमाग रूपी बगीचे में जगह दे ।

विचार और चरित्र एक ही है ।  विचारों से ही चरित्र बनता है और चरित्र परिवेश और उनकी परिस्थितियों के रूप में प्रकट हो जाता है ।  इसका अर्थ है कि इंसान के जीवन की बाहरी परिस्थितियां हमेशा उसकी आंतरिक स्थितियों के पूरे तालमेल में होता है । जैसा हमारे अंदर होता है वैसा ही बाहर प्रकट हो जाता है । बाहरी परिस्थितियां तो पूर्ण रूप से आंतरिक परिस्थितियों का प्रतिबिंब होती है ।

जब तक इंसान खुद को बाहरी परिस्थितियों का गुलाम मानता रहता है तब तक वह इन परिस्थितियों के धक्के खाते रहता है ।  लेकिन जब उसे इस बात का एहसास हो जाता है कि अपने जीवन का निर्माण करने की शक्ति उसी के पास है तो वह अपने विचारों के जरिए मनचाहा जीवन का निर्माण कर लेता है ।  जब इंसान को यह पता चल जाता है कि वह मनचाहे बीज बोकर परिस्थितियों की मनचाही फसल पैदा कर सकता है तो वह इंसान सच्चे अर्थों में अपना स्वामी बन जाता है ।

लोग हमेशा अपनी परिस्थितियों को बेहतर बनाने के लिए परेशान रहते हैं लेकिन वह खुद को बेहतर बनाने के लिए कभी सोचते तक नहीं इसलिए वह हमेशा बंधन में बंधे ही रहता है । लेकिन जो व्यक्ति खुद को बेहतर बनाने मैं होने वाले कष्ट से घबराता नहीं है वह कभी भी अपनी मनचाही चीज को पाने में असफल नहीं रहता ।  यह बात सभी चीजों के लिए सही है चाहे वह इस लोक की हो या परलोक की ।

अच्छे विचारों और कामों से कभी भी बुरे परिणाम उत्पन्न नहीं हो सकते ।  और बुरे विचारों और कामों से कभी भी अच्छे परिणाम उत्पन्न नहीं हो सकते ।

व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कष्टकारी परिस्थितियां उसके मानसिक  असामंजस्य और और असंतुलन का ही परिणाम होती है इसके साथ ही व्यक्ति की सुखद परिस्थितियां भी उसके मानसिक सामंजस्य और संतुलन का ही नतीजा होता है ।

जैसा विचार वैसा स्वास्थ्य

लेखक कहते हैं कि हमारी परिस्थितियों की तरह रोग और सेहत की जड़े भी हमारे विचारों में ही होती है । बीमार विचार ही हमारे शरीर में बीमारी के रूप में प्रकट हो जाता है ।

अगर आप किसी भी व्यक्ति के प्रति अपने दिल में दुर्भावना रखते हैं तो हो सकता है कि यह हृदय रोग का कारण बन जाए ।  अगर आप क्रोध भरे विचार सोचते रहते हैं तो हो सकता है कि आपको ब्लड प्रेशर हो जाए ।  अगर आप हमेशा चिंता करते रहते हैं तो हो सकता है कि आपको कोई भी गंभीर रोग और जाए ।

जो लोग रोग से डर डर कर  रहते हैं उनके रोगी होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है । चिंता पूरे शरीर के मनोबल को और आत्मशक्ति को तेजी से कम कर देता है और इससे शरीर में बीमारी को प्रवेश करने का मौका मिल जाता है ।

 अशुद्ध , गलत और बुरे विचार को अगर लगातार कोई व्यक्ति सोचता रहे तो भले ही उन पर शारीरिक रूप से अमल न किया जाए इसके बावजूद वे जल्द ही इंसान के नर्वस सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित करते हैं ।

शक्तिशाली शुद्ध और प्रसन्नता भरे विचार शरीर में स्फूर्ति और आनंद भरते हैं ।

अच्छा विचार सोचने से आपके शरीर में अच्छे रसायनों का प्रवाह होता है जिससे आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है और आपको रोग होने की आशंका काफी कम रहती है ।

अगर आप अपने शरीर को बचाना चाहते हैं तो अपने दिमाग पर पहरा लगा दीजिए । अगर आप अपने शरीर को सुंदर बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने दिमाग को सुंदर बना लीजिए ।

शरीर की बीमारियों को दूर भगाने के लिए प्रसन्नता से भरे विचारों से बढ़िया कोई भी डॉक्टर नहीं है । दुख की आशंकाओं को बिखराने के लिए सदिच्छा से ज्यादा राहत कारी कुछ भी नहीं है । 

दुर्भावना ,आलोचना , शंका और ईर्ष्या के विचारों में लगातार जिने का मतलब है कि आप खुद ही कारागार बनाकर अपने आप को कैद कर रहे हैं ।

इसके विपरीत सब के बारे में अच्छा सोचना , सबके साथ खुशनुमा व्यवहार करना और प्रत्येक वस्तु में अच्छाई खोजना , इस तरह के विचार स्वर्ग के द्वार के समान है ।

उद्देश्य पूर्ण विचार सफलता दिलाते हैं

जिन लोगों के जीवन का कोई मकसद नहीं होता वह छोटी-छोटी चिंताओं , डरो , कष्टों और दयनीय विचारों का आसानी से शिकार हो जाते हैं और ऐसे ही विचार सभी प्रकार के कमजोरी के कारक हैं ।

इंसान को हमेशा अपने दिल में सही उद्देश्य या लक्ष्य रखना चाहिए और उसे हासिल करने में जुटे रहना चाहिए । अपने लक्ष्य को अपने सभी विचारों का केंद्र बिंदु बना लेना चाहिए । आपका लक्ष्य कुछ भी हो सकता है यह आध्यात्मिक भी हो सकता है और सांसारिक भी । चाहे आपका लक्ष्य जो भी हो आपको लक्ष्य तय करने के बाद अपनी समूची विचार शक्तियों को निरंतर उसी पर केंद्रित रखना चाहिए ।

जिस प्रकार शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति सही तरीके से और धैर्य पूर्वक व्यायाम करके खुद को शक्तिशाली बना सकता है उसी तरह कमजोर विचार वाला व्यक्ति भी सही विचारों के अभ्यास से खुद को मजबूत बना सकता है ।

लक्ष्य हीनता और कमजोरी को दूर भगा दीजिए ।उद्देश्य पूर्ण ढंग से सोचना शुरू करिए इस तरह आप उन शक्तिशाली लोगों की भीड़ में शामिल हो जाएंगे जो असफलता को भी सफलता तक पहुंचाने का मार्ग बना लेते हैं । 

कोई भी काम करने की हमारी इच्छा शक्ति इस ज्ञान से उत्पन्न होती है कि हम उसे कर सकते हैं ।  शंका और डर ही हमारे ज्ञान के महा शत्रु हैं ।  जो भी व्यक्ति इन महा शत्रुओं को अपने दिमाग में जगह देता है और उन्हें खत्म नहीं करता है वह अपने राह में स्वयं ही हर कदम पर बाधाएं उत्पन्न करता है । 

जो शंका और डर को जीत लेता है वह व्यक्ति असफलता को भी जीत लेता है । उसका हर विचार शक्तिशाली हो जाता है और वह तमाम मुश्किलों का बहादुरी से सामना करके उन पर विजय हासिल कर लेता है । 

विचार हर उपलब्धि की नींव है

इंसान कोई भी चीज हासिल कर पाएगा या नहीं यह सीधा उसके विचारों का परिणाम होता है । इसलिए सफलता या असफलता के लिए इंसान खुद ही पूरी तरह जिम्मेदार होता है । इंसान की कमजोरी और शक्ति उसकी शुद्धता और अशुद्धता उसकी खुद की बनाई होती है किसी दूसरों की नहीं होती । इसलिए कोई भी दूसरा व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है बल्कि इंसान हर चीज के लिए खुद जिम्मेदार है ।

इसलिए कोई भी व्यक्ति अगर बदलना चाहे तो वह खुद ही बदल सकता है । उसकी परिस्थितियां भी दूसरे की नहीं है बल्कि उसकी अपनी है । वह जैसा भी सोचता है वैसा ही होता है । और वह जैसा सोचता रहेगा वैसा ही होता रहेगा और वह वैसा ही बना रहेगा ।

जैसे विचार होंगे वैसा ही जीवन होगा । अगर विचार उत्तम है तो जीवन भी उत्तम होगा । अगर विचार निकृष्ट हैं तो जीवन भी निकृष्ट होगा ।

मनुष्य अपने विचारों को ऊपर उठाकर ही ऊपर उठ सकता है और जीत सकता है । ऐसा करके ही वह सभी उपलब्धि हासिल कर सकता है । वह अपने विचारों को ऊपर उठाने से इंकार कर के कमजोर दीन- हीन और दुखी बना रहता है । आप क्या करना चाहते हैं यह पूरी तरह से आपके ऊपर और आपके विचारों के चुनाव के ऊपर निर्भर करता है ।

त्याग के बिना कोई भी उपलब्धि या प्रगति संभव नहीं है । इंसान की सांसारिक सफलता इसी पैमाने पर नापी जाती है कि वह अपने खराब और पासबुक विचारों को कितना त्याग करता है वह अपनी योजनाओं के विकास पर अपने दिमाग को कितना केंद्रित करता है और वह अपने संकल्प तथा आत्मनिर्भरता को कितना मजबूत बनाता है वह अपने विचारों को जितना ज्यादा ऊपर उठाता जाएगा उतना ही ज्यादा सफल और सदाचारी होगा उसे उतनी ही बड़ी सफलता मिलेगी और उसकी उपलब्धियां उतनी ही ज्यादा स्थाई होंगी ।

अगर आप सही विचार रखकर सफल हो भी जाते हैं इससे आपका काम पूरा नहीं होता है आपको आगे के लिए सतर्क रहना होगा कि कहीं गलत विचार आपके दिमाग में घुसकर डेरा ना जमाले इसलिए समय-समय पर अपने दिमाग की तलाशी लेते रहें और उस पर एक पहरा बिठा दें ।

सही विचारों की बदौलत जो अजीत आप हासिल करते हैं उसको कायम रखने के लिए लगातार अपने मस्तिष्क को सही विचारों से भरे रखिए नकारात्मक या बुरे विचारों के लिए जगह है ही नहीं बचना चाहिए सफल होने के बाद कई लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं जिसका नतीजा यह होता है कि वह तेजी से फिसल जाते हैं और दोबारा और सफलता की खाई में गिर जाते हैं ।

जो कम हासिल करना चाहते हैं उसे अपने जीवन में कम त्याग करने की जरूरत है लेकिन जो ज्यादा हासिल करना चाहता है उसे ज्यादा त्याग करना पड़ेगा और साथी जो बहुत ज्यादा हासिल करना चाहता है उसे बहुत ज्यादा त्याग करने की जरूरत है ।

क्योंकि अगर आप अपने मोहल्ले में दौड़ जीतना चाहते हैं तो आपको कम अभ्यास करने की जरूरत होगी लेकिन अगर आप ओलंपिक की दौड़ में जीतना चाहते हैं तो आपको हर समय अभ्यास और त्याग की जरूरत होगी ।

हर सपना सुखद भविष्य का विचार है

जो व्यक्ति अपने दिल में बड़ा सपना रखते हैं वह एक न एक दिन उसे हासिल कर ही लेते हैं कोलंबस ने दूसरी दुनिया खोजने का सपना देखा था और अंततः उसने से खोज ही लिया कॉपरनिकस ने ज्यादा बड़े ब्रह्मांड का सपना देखा था और आखिर कर उन्होंने इसे ढूंढ ही निकाला

अपने सपने को संजोएँ  अपने आदर्श को सहेजें । वह संगीत को सराहें  जो आपके दिल के तार को झनझना  देता है। उस सुंदरता को सराहें जो आपके दिमाग में आकार लेती है ।

बाइबल का नियम याद रखिए मांगे और पाएं सपना देखने का मतलब है कि आप मांग रहे हैं बार-बार सपना देखने का मतलब है कि आप शिद्दत से मांग रहे हैं और लगातार सपना देखने का मतलब है कि आप उस चीज को शत-प्रतिशत शिद्दत से मांग रहे हैं और आप खुद को उस एक बिंदु पर केंद्रित कर चुके हैं ।

ऊंचे सपने देखे क्योंकि आप जैसे सपने देखते हैं वैसे ही बन जाते हैं आपका सपना इस बात का वादा है कि आप एक न एक दिन हो वैसे ही बन जाएंगे आपके मन में संजोया गया सपना एक भविष्यवाणी है जिसे एक दिन आप पूरा करके ही रहेंगे ।

हो सकता है कि अभी आप के हालात अच्छे ना हो मगर वह बदल जाएंगे शर्त केवल एक है कि आप एक लक्ष्य बना लें और उस तक पहुंचने की कोशिश करते रहे ।

सभी कार्य प्रयास से ही सिद्ध होते हैं । प्रतिभा और शक्तियां भी प्रयास का ही नतीजा है सभी भौतिक बौद्धिक और अध्यात्मिक उपलब्धियां भी प्रयास के ही फल है ।

जिस सपने को आप अपने दिमाग में महिमामंडित करते हैं जिस विचार को आप अपने दिल के सिंहासन पर बिठा लेते हैं आपका जीवन उसी के अनुरूप बन जाता है

शांत विचार शांत जीवन

मानसिक शांति बुद्धिमता का सुंदर रतन है । जिस तरह गहरे पानी में गोता लगाने के बाद ही मोती मिलता है उसी तरह मानसिक शांति का आरक्षण भी आसानी से नहीं मिलता है ।

आत्म नियंत्रण के लंबे और धैर्यवान प्रयास के परिणाम स्वरुप है मनुष्य मानसिक शांति को प्राप्त कर सकता है मानसिक शांति परिपक्वता और अनुभव की निशानी है ।

इंसान उसी हद तक शांत रह सकता है जिस हद तक वह यह बात मानने लगता है कि उसका जीवन उसके विचारों का परिणाम है और इस ज्ञान के लिए यह समझना भी जरूरी है कि दूसरों की परिस्थितियां और व्यक्तित्व भी उनके विचारों के ही परिणाम है जब यह समझ स्पष्ट हो जाती है और कारण तथा परिणाम के नियम की मदद से चीजों के बीच के संबंध को मनुष्य स्पष्ट राशि देखने लगता है फिर वह विचलित नहीं होता बातें नहीं बनाता चिंता नहीं करता और दुखी नहीं होता है इस स्थिति में वह शांत और संतुलित हो जाता है ।

शांत व्यक्ति खुद पर शासन करना सीख लेता है इसलिए जो इंसान जितना ज्यादा शांत होता है उसकी सफलता उसका प्रभाव और अच्छा करने की उसकी शक्ति उतनी ही ज्यादा बढ़ती है ।

शांत भक्ति से सभी प्रेम करते हैं उसका हमेशा सम्मान किया जाता है वह तपती धूप में भी छायादार पेड़ जैसा होता है तूफान में सहारा देने वाला चट्टान जैसा होता है

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि ऐसे लोगों के जीवन में कैसी परिस्थितियां आ रही है या परिवर्तन हो रहे हैं हालात चाहे जैसे भी हो वह शांत बने रहते हैं चारित्रिक संतुलन या जिसे हम शांति कहते हैं सुसंस्कृत व्यक्ति का आखरी सबक है

आत्म नियंत्रण ना होने की वजह से ही ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं और अपनी खुशी को अपने हाथों ही मिटा देते हैं ।

आज नियंत्रण ही शक्ति है और सही विचार ही स्वामी बनने का उपाय है ।


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AS A MAN THINKETH
 Thank you!

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Chapter- 1

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